मीराबाई की रचनाएँ, जीवन परिचय, कला पक्ष, भाव पक्ष, साहित्य में स्थान | meera ki Rachnaye
जीवन परिचय
मीराबाई की रचनाएँ | Meera ki Rachnaye | Mirabai ki Rachnaye
मीरा ने स्वयं कुछ नहीं लिखा । कृष्ण के प्रेम में मीरा ने जो गाया वो बाद में पद मे संकलित हो गए ।
- राग सोरठा
- नरसीजी रो मायारा
- मीरा की मल्हार
- मीरा पदावली
- राग गोविंद
- गीत गोविंद
- गोविंद टीका
मीराबाई के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें– मीरा बाई का संपूर्ण जीवन परिचय, कला पक्ष, भाव पक्ष, साहित्य में स्थान
Advertisements
बचपन से ही मीरा कृष्ण भक्ति में लीन रहती थी । पति की मृत्यु के बाद परिवार वालों ने उसे मारने के कई प्रयास किए । इन सभी कारणों से मीरा बाई परेशान होकर मेवाड़ त्याग दिया और द्वारिका जाकर कृष्ण भक्ति में जीवन व्यतीत करने लगी ।
यह कहा जाता है की मीरा यहीं भजन गाते- गाते मीरा कृष्ण जी की मूर्ति में समा गई । यह घटना सन 1546 की बताई जाती है ।
इन्हें भी पढ़े
Advertisements
तुलसीदास का जीवन परिचय , रचनाएँ
Advertisements
Advertisements
महात्मा गाँधी का जीवन परिचय, निबंध
आचार्य रामचन्द्रशुक्ल का परिचय
Advertisements