मीराबाई की रचनाएँ, जीवन परिचय, कला पक्ष, भाव पक्ष, साहित्य में स्थान | Meera ki rachnaye

मीराबाई की रचनाएँ, जीवन परिचय, कला पक्ष, भाव पक्ष, साहित्य में स्थान | meera ki Rachnaye

मीरा बाई का जीवन परिचय

जीवन परिचय

मीराबाई की रचनाएँ | Meera ki Rachnaye | Mirabai ki Rachnaye

मीरा ने स्वयं कुछ नहीं लिखा । कृष्ण के प्रेम में मीरा ने जो गाया वो बाद में पद मे संकलित हो गए ।

  1. राग सोरठा
  2. नरसीजी रो मायारा
  3. मीरा की मल्हार
  4. मीरा पदावली
  5. राग गोविंद
  6. गीत गोविंद
  7. गोविंद टीका

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बचपन से ही मीरा कृष्ण भक्ति में लीन रहती थी । पति की मृत्यु के बाद परिवार वालों ने उसे मारने के कई प्रयास किए । इन सभी कारणों से मीरा बाई परेशान होकर मेवाड़ त्याग दिया और द्वारिका जाकर कृष्ण भक्ति में जीवन व्यतीत करने लगी ।

यह कहा जाता है की मीरा यहीं भजन गाते- गाते मीरा कृष्ण जी की मूर्ति में समा गई । यह घटना सन 1546 की बताई जाती है ।

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Priya Kapoor
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मैं प्रिया कपूर (Priya Kapoor), IndianHistoryHindi.com की संपादक हूँ, जहाँ मैं संस्कृति और साहित्य, शिक्षा और ज्ञान, साथ ही समाचार और अपडेट से संबंधित विषयों पर सामग्री साझा करती हूँ। डिजिटल सामग्री निर्माण में ८ वर्षों से अधिक अनुभव के साथ, मैं भारतीय इतिहास और संस्कृति के जटिल पहलुओं को स्पष्ट, रोचक और सूचनात्मक लेखों में बदलने में विशेषज्ञ हूँ। मेरा उद्देश्य पाठकों को उनके ज्ञान को गहरा करने, परंपराओं की सराहना करने और विश्वसनीय अपडेट के साथ सूचित रहने में मदद करना है। मुझे इतिहास और शिक्षा का जुनून है, और मैं हमेशा दर्शकों के लिए सटीक और मूल्यवान जानकारी प्रदान करती हूँ।