महाजनपद काल | 16 mahajanpad ke naam, 30+Best Q&A hindi

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महाजनपद काल का उदय –  वैदिक काल के प्रारम्भ में राजनीतिक संगठन का मुख्य आधार `जन` था। प्रारम्भ में इनका कोई सर्वथा निश्चित स्थान नहीं होता था और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ये एक स्थान से दूसरे स्थान में निवास करते थे।

महाजनपद काल
महाजनपद काल

इस प्रकार इनका कोई भौगोलिक आधार नहीं था। पर जल्द  ही ये निश्चित  स्थानों पर बस गए।अब इनका भौगोलिक आधार बना जिस कारण उन्हें `जनपद` कहा जाने लगा। `जनपद` का अर्थ है  जन द्वारा अधिकृद क्षेत्र। जनपद का नाम प्राय: जन के नाम पर ही होता था।प्रारम्भिक बौद्ध तथा जैन प्रन्थों में, पुराणों में विशेष रूप से तथा अन्य ग्रंथों भी इन जनपदों  के बारे में जानकारी  मिलती है।

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बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में सोलह जनपदों की सूची दी गई है। जैन ग्रन्थ भगवती सूत्र में भी महाजनपदों  के बारे में बताया गया  है। भगवती सूत्र का विवरण बाद के काल का  है। जनपद के पूर्व में लगे `महा` शब्द से स्पष्ट है ये राज्य अपेक्षाकृत बडे भू-विस्तार वाले राज्य थे।

महाजनपद काल में जनपदों की स्थापना के बाद इनका आपस में संघर्ष होना स्वाभाविक था। जिसके कारण  निर्बल राज्य समाप्त होते गये और शक्तिशाली राज्यों में विलीन होते गये। अधिक शक्तिशाली और विस्तार में बड़े  इन राज्यों को महाजनपद कहा जाने लगा ।

महाजनपद काल का ऐतिहासिक साक्ष्य | Historical evidence of Mahajanapada period

उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर महाजनपद काल आठवीं-सातवीं शताब्दी ई. पूर्व से छठी शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक माना जा सकता  है। महाजनपदों के अतिरिक्त इस समय अन्य जनपदों का अस्तित्व नहीँ था पर बौद्ध एवं जैन प्रन्थों ने दुर्बल तथा सीमा विस्तार में छोटा होने के कारण अन्य जनपदों को महत्त्वपूर्ण नहीं माना और केवल महजनपदों के  बारे में उल्लेख  किया ।

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इन सोलह महाजनपदों में कुछ में राजतन्त्रात्मक शासन व्यवस्था थी। जबकि कुछ  महाजनपददों में गणतन्त्रात्मक  शासन का प्रचलन था। राजतन्त्रात्मक में सत्ता एक व्यक्ति (राजा) के हाँथों  में केंद्रित  था । और गणतन्त्रात्मक में राज्यों में प्रशासन में जन सामान्य की सहभागिता से  होता था। इनमे से वज्जि और मल्ल गणतंत्रात्मक महाजनपद थे। अधिकांश महाजनपदों में राजतन्त्र का प्रचलन था।

सोलह महाजनपद , 16 Mahajanpad Ke Naam

काशी 

कई बौद्ध जातक कथाओं में इस राज्य के  राजाओं की शक्ति और उनकी राजनीतिक प्रभाव के  बारे में बताया गया है । यह  प्रारंभ में  महाजनपद काल का सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य था। इसकी राजधानी वाराणसी था।  महाजनपद काल का अन्त होते होते यह कोशल राज्य में बदल गया था।

कोशल

इस राज्य का विस्तार आधुनिक उत्तर प्रदेश के अवध  क्षेत्र में था। रामायण में इसकी राजधानी अयोध्या बताई गई हैं। बौद्ध-ग्रंथों  में इसकी राजधानी श्रावस्ती बताया  गया  है। बौद्ध ग्रन्थों में इस राज्य के एक अन्य-प्रसिद्ध नगर साकेत का उल्लेख मिलता है

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अंग

यह राज्य मगध के पूर्व में स्थित था। दोनों राज्यों के बीच में चम्पा नदी बहती थी । चम्पा इसकी राजधानी का भी नाम था। और यह एक समृद्ध राज्य था।  अंग और मगधं में निरन्तर संघर्ष हुआ करता था । अन्त में यह मगध में  विलीन हो गया।

मगध

महाजनपद काल में  इस राज्य का अधिकार क्षेत्र आधुनिक बिहार के पटना और गया जिलों के भू प्रदेश पर था। इसकी प्राचीनतम राजधानी गिरिव्रज थी । बाद में राजगृह राजधानी बना। महाभारत और पुराणों में यहाँ वृंहद्रथ कुल के राजाओं का उल्लेख मिलता है जिनमें जरासन्ध अत्यन्त प्रतापी शासक था।प्रारम्भ में यह एक छोटा राज्य था पर इसकी शक्ति में निरन्तर विकास होता गया। बुद्ध के काल में यह चार शक्तिशाली राजतन्त्रों में एक था।

वज्जि

महाजनपद काल में यह राज्य गंगा नदी के उत्तर में नेपाल की पहाडियों तक विस्तृत था । पश्चिम में गण्डक नदी इसकी सीमा बनातीं थी और पूर्व में सम्भवंत: इसका विस्तार कोसी और महानन्दा नदियों के तटवर्ती जंगलों तक था।

यह एक संघात्मक गणराज्य था जो आठ  कुलों  से बना था। इसकी राजधानी वैशाली  थी। आठ कुलों में एक प्रमुख कुल लिच्छवियों का था, जिनके नाम पर इसे लिच्छविगण भी कहा गया है। बुद्ध  और महावीर के समय यह राज्य  बहुत शक्तिशाली  था।

मल्ल

यह दो भागों में बंटा हुआ था। एक की राजधानी कुसीनारा (उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आधुनिक कुशीनगर) और दूसरे की पावा थी ।

चेदि

यह राज्य आधुनिक बुन्देलखण्ड के पूर्वी भाग में स्थित था। इसकी राजधानी शुक्तिमती था  जिसे बौद्ध साक्ष्य में सोत्थवती  कहा गया है। चेदी लोगों का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता हैं । महाभारत में यहाँ के राजा शिशुपाल का उल्लेख है।

वत्स

यह राज्य गंगा नदी के दक्षिण में स्थित था और इसकी राजधानी कौशाम्बी थी। कौशाम्बी इलाहाबाद से लगभग 30 मील की दूरी पर है। इलाहाबाद  यूनिवर्सिटी  के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग की ओर से यहाँ की गई खुदाई  से महत्वपूर्ण  अवशेषों की प्राप्ति हुई है ।

पुराणों के अनुसार बाढ़  के द्वारा हस्तिनापुर के नष्ट होने  के बाद निचक्षु ने यहाँ राजधानी स्थापित की थी। यहाँ के राजा भरत अथवा कुरु कुल के थे । बुद्ध के समय यहाँ का शासक उदयन था। वत्स का राज्य भी बुद्ध के समय चार प्रमुख राजतन्त्रों में एक था।

कुरु

इस राज्य में आधुनिक दिल्ली के आस-पास के प्रदेश थे । इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, जिसकी स्मृति दिल्ली के निकट इन्द्रपत गांव में सुरक्षित मिलती है। हस्तिनापुर इस राज्य का एक अन्य प्रसिद्ध नगर था।

पांचाल

इस महाजनपद का विस्तार आधुनिक रोहिलखण्ड और मध्य दोआब में था। यह दो भागों में विभक्त था।  उत्तरी पांचाल और दक्षिणी पांचाल । उत्तरी पांचाल  की राजधानी अहिच्छव और दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य था । उपनिषद् काल में इसके राजा प्रवाहण जैवलि का एक दार्शनिक राजा के रूप में उल्लेख हुआ है।

मत्स्य 

इस राज्य का विस्तार आधुनिक राजस्थान के अलवर जिला से चम्बल नदी तक  था। इसकी राजधानी विराटनगर (जयपुर से दिल्ली जाने वाले राजमार्ग पर स्थित आधुनिक बैराट) थी।  महाभारत के अनुसार, पाण्डवों ने यहाँ अपना अज्ञातवास का समय बिताया था।

शूरशेन

इस जनपद की राजधानी मथुरा थी। महाभारत तथा पुराणों में यहाँ के राजवंशों को यदु अथवा यादव कहा गया है। यादव लोग कई कुलों  में बंटे हुए थे। सात्वत, अन्धक और वृष्णि इनके प्रमुख कुल थे । यूनानी लेखकों ने इस जनपद का उल्लेख सौरसेनाइ नाम से किया है ।

अश्मक 

गोदावरी नदी के तट पर स्थित इस महाजनपद की राजधानी पोतलि अथवा पोदन थी ।

अवंती 

महाजनपद काल में इस राज्य के अन्तर्गत आधुनिक उज्जैन का भू-प्रदेश तथा नर्मदा घाटी का कुछ भाग आता था। यह राज्य भी दो भागों में बंटा था – एक की राजधानी उज्जैन थी  और दक्षिणी भाग की राजधानी महिष्मती थी । बुद्धकालीन चार शक्तिशाली राजतंत्रों में एक अवंती  का राज्य भी  था।

गांधार

यह पूर्वी अफगानिस्तान में स्थित था। इस राज्य में कश्मीर घाटी तथा प्राचीन तक्षशिला का भू-प्रदेश भी आता था। इसकी राजधानी तक्षशिला थीं।

कम्बोज

इसका उल्लेख सदैव गांधार के साथ हुआ है।  यह महाजनपद गांधार राज्य से सटे हुए भारत के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित था । राजपुर और द्वारका इस राज्य के दो प्रमुख नगर थे।

महाजनपद काल में सोलह बडे जनपदों के अतिरिक्त देश-में-अन्य कई छोटे-छोटे जनपद भी थे जिनका उल्लेख अन्य विविध साक्ष्यों में मिलता  है। पंजाब में केकय ,मद्रक, त्रिगर्त और यौधेय नामक जनपद स्थित थे।

सिन्धु प्रदेशे में सिन्धु,सौवीर  शिवि और अम्बष्ठ नामक जनपद थे । और  कोसल के उत्तर में नेपाल  की तराई में शाक्यों का जनपद था।जिसकी राजधानी कपिलवस्तु थी।

अस्सक अथवा अश्मक जनपद के पूर्व में कलिंग (आधुनिक उडीसा) और पश्चिम में मूलक (जिसकी राजधानी प्रतिष्ठान ) और विदर्भ (आधुनिक बरार प्रदेश) नामक प्रसिद्ध  जनपद थे । भारत के पश्चिम भाग  में सौराष्ट्र और कच्छ तथा पूर्व भाग में  परिचमी बंगाल, पुण्ड, (उत्तरी बंगाल)एवं बंग पूर्वी बंगाल) नामक जनपदों  का उल्लेख  मिलता है। सुदूर दक्षिण में तमिल राज्य का  नाम आता है।

महाजनपद काल की राजनीतिक स्थिति | Political status of Mahajanapada period

महाजनपद काल का भारत वर्ष  कई छोटे तथा बड़े महा जनपदों में बंटा हुआ था।  इनमें भू-विस्तार के लिए संघर्ष चलता रहता था। किसी भी एक ऐसे शक्तिशाली राज्य का अभाव था।  जिसकी प्रभुता को अन्य सभी जनपद स्वीकार करते हों  पर यह सभी अपनी सीमा और शक्ति को बढाने के इच्छुक थे।

इस प्रवृत्ति ने साम्राज्यवाद की उस प्रक्रिया को जन्म दिया, जिसमें निर्बल तथा छोटे जनपद घीरे-धीरे शक्तिशाली जनपदों में मिल गये  और  बुद्ध और महावीर के समय तक आते आते कोशल , मगध, वत्स और अवंती  नामक जनपद सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रह गये।

मगध ने अपने पडोसी  राज्य अंग को हड़प  लिया और काशी का राज्य कोसल में विलीन हो गया। अवंती  और वत्स आपस में उलझे हुए थे। बाद में  इन्ही  चार राज्यों में साम्राज्य की स्थापना की होड़  प्रारम्भ हुई। ये सभी राजतंत्रात्मक जनपद थे।  वज्जि जनपद बडा शक्तिशाली था और यह लम्बे समय तक अपने पड़ोसी  मगध के शक्तिशाली जनपद की साम्राज्यवादी आकांक्षा से लड़ता  रहा।

Mahajanapada period

महाजनपद काल के राजा विशाल किले का निर्माण करवाते थे । जिससे आक्रमणकारियों से राज्य को सुरक्षित रखा जा सके ।  और वे अपने पास एक बड़ी सेना रखते थे इन सभी के लिए उन्हें धन की बहुत अधिक आवश्यकता होती थी ।

कर के प्रकार 

  • फसलों पर लगाया गया कर सबसे महत्वपूर्ण था क्योकि अधिकांश लोग खेती करते थे । उन्हें फसलों के उपज का 1/6 वां भाग  कर के रूप में देना होता था ।
  • कारीगरों के ऊपर भी कर लगाए जाते थे । जो श्रम के रूप में चुकाए जाते थे । जैसे की एक बुनकर, लोहार, या सुनार को राजा के लिए एक दिन काम करना होता था ।
  • पशुपालकों को जानवरों या उनके उत्पादन के हिसाब से कर देना होता था ।
  • व्यापारियों को सामान खरीदने बेचने पर कर लगाया जाता था ।
  • आखेटकों तथा संग्राहकों को जंगल से प्राप्त वस्तुएँ देना होता था ।

कृषि व्यवस्था | Agricultural system of Mahajanapad period

महाजनपद काल में कृषि क्षेत्र में दो बड़े परिवर्तन हुए । हल के फाल लोहे से बनने लगे । जिसके कारण कठोर जमीन को आसानी से जोता जा सकता था । इस कारण फसलों की उपज में वृद्धि हो गई ।

धान की रोपाई करने लगे । जिससे पैदावार अधिक होने लगा ।

जिसके कारण राज्यों के कर मे वृद्धि होने लगा और महजनपदों की शक्ति बढ़ने लगा।

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महाजनपद काल के अतिमहत्वपूर्ण प्रश्न

वज्जि संघ के विरुद्ध मगध राज्य के किस शासक ने प्रथम बार रथ मूसल (जिसमें गदा जैसा हथियार जुड़ा था) तथा महाशिलाकंडक (पत्थर फेकने वाला यंत्र) का प्रयोग लिया था ।

उत्तर – आजतशत्रु

कौन से राजा बुद्ध के समकालीन थे ।

उत्तर –अजातशत्रु, प्रसेनजित

6 सदी ईसा पूर्व के दौरान बड़े राज्यों के उदय का मुख्य कारण क्या था ।

उत्तर – उत्तर प्रदेश और बिहार में अधिक पैमाने पर लोहे का उपयोग

किस शासक ने अवन्ती को जीतकर  मगध का हिस्सा बना दिया ।

उत्तर – शिशुनाग वंश

किस मगध सम्राट ने अंग का विलय अपने राज्य में कर लिया था ।

उत्तर – बिंबिसार

शिशुनाग ने किस राज्य का विलय मगध साम्राज्य में नहीं किया ।

उत्तर – काशी

काशी और लिच्छवि को किस वंश ने मगध का हिस्सा बनाया था ।

उत्तर – अजातशत्रु

किस राज्य में गणतन्त्र शासन व्यवस्था नहीं था ।

उत्तर – मगध

किस राजा को सेनिया (नियमित और स्थायी सेना रखने वाला) कहा जाता था ।

उत्तर – बिंबिसार

किसे उग्रसेन(भयानक सेना) का स्वामी कहा जाता था ।

उत्तर – महापद्मान्नद

ग्रहपति का अर्थ है ।

उत्तर – धनी किसान

महाजनपद काल में श्रेणियाँ संचालक को कहा जाता था ।

उत्तर – श्रेष्ठीन

नंद वंश का संस्थापक कौन था ।

उत्तर – महापद्मान्नद

सिकंदर ने भारत पर आक्रमण कब किया था ।

उत्तर – 326 ई.पू

प्राचीन भारत में कितने महाजनपद थे ।

उत्तर – 16

बिंबिसार किस वंश का राजा था

उत्तर – हर्यक

किस शासक ने गंगा एवं सोन नदियों के संगम पर पाटलीपुत्र नगर स्थापित किया

उत्तर – उदयिन

323 ई ,पू में सिकंदर महान की मृत्यु हुई ।

उत्तर – बेबीलोन में

सिकंदर और पोरस की सेना ने किस नदी पर पड़ाव डाला हुआ था ।

उत्तर – झेलम

पालि ग्रन्थों में गाँव के मुखियाँ को क्या कहा गया है ।

उत्तर – ग्राम भोजक

उज्जैन का प्राचीन नाम क्या था

उत्तर – अवंतिका

प्राचीन भारत में पहला विदेशी आक्रमण किसने किया था ।

उत्तर – इरानियों के द्वारा

मगध की प्रथम राजधानी क्या था

उत्तर – राजगृह

किस शासक ने पाटलीपुत्र को पहले अपना राजधानी बनाया गया था ।

उत्तर – उदयिन ने

16 जनपदों की की सूची किसमें उपलब्ध है ।

उत्तर – अंगुन्तर निकाय में

मगध का कौन सा राजा सिकंदर के समकालीन था

उत्तर – घनानन्द

सिकंदर के आक्रमण के समय उत्तर भारत पर किस वंश का शासन था ।

उत्तर – नंद वंश

अभिलेख से प्रकट होता है कि नन्द राजा के आदेश से एक नहर खोदी गई थी ।

उत्तर – कलिंग में

नन्द वंश का अंतिम शासक कौन था ।

उत्तर – घनानन्द

भारत में सिक्कों का प्रचलन कब हुआ ।

उत्तर – 600 ई . में

ईसा पूर्व 6 वी सदी में , प्रारम्भ में भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली नगर था ।

उत्तर – मगध

मगध के किस प्रारम्भिक शासक ने राज्यरोहण के लिए अपने पिता की हत्या की एवं इसी कारणवश अपने पुत्र द्वारा मारा गया ।

उत्तर – आजतशत्रु

कौन सा नगर मगध राज्य की राजधानी नहीं रही ।

उत्तर – काशौम्बी

कौन सा बौद्ध ग्रंथ 16 महजनपदों का उल्लेख करता है।

उत्तर – अगुंतर निकाय

 

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