पुराणों में कण्व वंश को समाप्त करने का श्रेय आंध्रजातीय सिमुक को दिया जाता है । आंध्र एक प्राचीन जाती के लोग थे । जिनका निवास स्थान कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के मध्य था । जिस समय मगध में शुंग और कण्व राजवंश तथा उत्तरी और पश्चिमी भारत में शक और कुषाण जातियों का शासन चल रहा था । उस समय दक्षिण में आंध्र सातवाहन वंश का शासन था ।
सातवाहन वंश का परिचय satvahan vansh history in hindi
पुराणों में इन्हें आंध्रजातीय तथा आंध्र- भृत्य ( सेवक ) कहा गया है । इनके पूर्वज मगध साम्राज्य में नौकरी करते रहे होंगे इसलिए इन्हें सेवक कहा गया है । इस वंश के राजा अपने को सातवाहन अथवा शातकर्णि कहते थे।
शातकर्णि उनका नामान्त जान पड़ता है । अभिलेखों के अनुसार यह भी शुंगों और कण्व की तरह ब्राह्मण राजवंश के थे। नासिक के अभिलेख में इस वंश के शासक गौतमीपुत्र को एक ब्राह्मण कहा गया है । इनके नामों के पूर्व गौतमीपुत्र, वशिष्ट्पुत्र जो की ब्राह्मणों के गोत्र नाम है । इनसे उनका ब्राह्मण वंशी होना प्रमाणित होता है ।
सातवाहन वंश का मूल निवास स्थान और तिथि
अधिकतर विद्वान उनका मूल स्थान महाराष्ट्र में मानते है क्योंकि इसी प्रदेश में सातवाहनों के सबसे अधिक लेख मिले है । ऐसा मानते है की ये शकों से पराजित होकर आंध्र प्रदेश में जाकर बस गए इसलिए इन्हे आंध्र कहा जाने लगा ।
इनके उदय के तिथि के बारे में विद्वान एकमत नहीं है । पुराणों में अंतिम कण्व शासक सुशर्मन को समाप्त करने का श्रेय सातवाहन कुल के प्रथम शासक सिमुक को दिया जाता है । कण्वों ने 45 वर्षों तक शासन किया । इस प्रकार कण्व वश की अंतिम तिथि 27 ई पूर्व ठहरती है । इसी समय से सातवाहन वंश का प्रारम्भ माना जाता है ।
सातवाहन वंश का संस्थापक, satvahan vansh ke sansthapak
पुराणों के अनुसार इस राजवंश का संस्थापक सिन्धुक था । कुछ पुराणों में इसका नाम सिमुक भी मिलता है । उसने कण्व वंश के अंतिम शासक राजा सुशर्मा को मारकर मगध में शक्ति को फैलाया । मध्य भारत तथा दक्षिण बिहार में शुंगो के कुछ वंशज छोटे-छोटे राजाओं के रूप में राज्य कर रहे थे । उन्हें भी इसने पराजित कर दिया ।
गोदावरी नदी के तट पर प्रतिस्ठान अथवा पैठन को उसने राजधानी बनाया था । उसने 23 वर्षों तक शासन किया तथा अपने शासन काल में जैन तथा बौद्ध मंदिर भी बनवाये । शासन काल के प्रारम्भ में उसने इन धर्मों को बढ़ावा दिया था और बाद में इसका झुकाव ब्राह्मण धर्म की ओर था ।
सिमुक के बाद उसका भाई कृष्ण राजा बना । कृष्ण ने दक्षिण भारत में विशाल साम्राज्य के स्थापना करके अपने आप को दक्षिणपति की अपाधि से अलंकृत किया था एवं पुष्यमित्र की तरह इसने भी एक अश्वमेघ यज्ञ किया था ।
शातकर्णि प्रथम
कृष्ण के बाद सातवाहन वंश का महत्वपूर्ण शासक शातकर्णि प्रथम था । नानाघाट के अभिलेख में उसे सिमुक सातवाहन वंश को बढ़ाने वाला कहा गया है । उसने महाराष्ट्र के महारथी त्रणकयिरो की कन्या नागनिका से विवाह कर अपनी शक्ति बढ़ाई। नागनिका द्वारा लिखाये गए नानाघाट लेख में उसे शूर वीर और दक्षिणपथपति कहा गया है । उसके राज्य में मालवा, नर्मदा नदी के दक्षिण का प्रदेश, विदर्भ, मध्य भारत, उत्तरी कोंकण, काठियावाड़ और उत्तरी दक्कन का प्रदेश शामिल था ।
खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख में शातकर्णि का उल्लेख है । जिसे सातवाहन वंश का तीसरा राजा सातकर्णि प्रथम मानते थे । शतकर्णि खारवेल से पराजित हुआ था । पर सातवाहनों पर इस आक्रमण का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था ।
शातकर्णि की मृत्यु के बाद उसके दो राजकुमार वेदश्री और शक्तिश्री कम उम्र के थे । अतः राजमाता नागनिका ने उनकी संरक्षिका के रूप में राज्य किया ।
सातवाहन वंश का अंधकार समय
पुराणों के अनुसार शातकर्णि के बाद सत्रह राजाओं ने शासन किया, किन्तु इन शासकों के बारे कोई महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं है । इसी कारण इस काल को सातवाहन वंश का अंधकार युग कहा जाता है । इस समय शकों के क्षहरात वंश ने सातवाहन राज्य पर आक्रमण कर इन्हें पराजित कर दिया और महाराष्ट्र सातवाहनों के हाँथ से निकल गया । इस समय इनकी शक्ति आर्थिक रूप से कमजोर था ।
गौतमीपुत्र शातकर्णि
गौतमीपुत्र शातकर्णि इस राजवंश का सबसे प्रतापी राजा और महत्वपूर्ण शासक था । साक्ष्यों के अनुसार यह इस वंश का तेइसवां शासक था । उसका राज्य 106 ई से प्रारम्भ माना जाता है । उसकी मृत्यु के बाद उसकी माता गौतमी बलश्री ने नासिक में एक लेख खुदवाया जिसमे गौतमीपुत्र शातकर्णि की विजयों तथा कार्यों के बारे में पता चलता है ।
- प्रतापी शासक
इस लेख में उसे निम्नलिखित उपाधि दी गई है ।
क्षत्रियों के मान और घमंड को चूर करने वाला ।
शक, यवन और पह लव का नाश करने वाला ।
क्षहरात वंश को नष्ट करने वाला ।
सातवाहन कुल के यश की प्रतिष्ठा करने वाला ।
इस लेख में उसे समस्त राज्यों के ऊपर राज्य करने वाला, कभी न पराजित हुआ युद्ध में अनेक शत्रु को जीतने वाला और जिसके वाहनों ने तीनों समुंद्र का जल पिया अर्थात जिसने बीच के सारे प्रदेशों को जीता था ।
गौतमीपुत्र शातकर्णि का राज्य विस्तार
गौतमीपुत्र शातकर्णि ने दक्षिण भारत और मध्य भारत को जीता । इस लेख में उन प्रदेशों के नाम दिए गए है । जिन पर उसका अधिकार था ।
- असिक– गोदावरी और कृष्णा नदी के बीच का प्रदेश ।
- अश्मक।
- पैठन का क्षेत्र ।
- सुराष्ट्र – दक्षिण काठियावाड़ ।
- कुकुर – उत्तरी काठियावाड़ ।
- अपरान्त – बम्बई प्रदेश का उत्तरी भाग ।
- अनूप – निमाड़ जिला ।
- विदर्भ – बरार प्रदेश ।
- आकर– पूर्वी मालवा ।
- अवन्ति – पश्चिमी मालवा ।
पतन
तीसरी शताब्दी तक सातवाहन वंश की शक्ति बहुत कमजोर हो चुका था । लगभग 225 ई. में यह राजवंश समाप्त हो गया था । इनके पतन में कई शक्तियों ने योगदान दिया । पश्चिम में नासिक के आसपास के क्षेत्र पर अमीरों ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया । पूर्वी प्रदेश में इक्षावाकुओं ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर दिया था । दक्षिण पूर्वी प्रदेश का क्षेत्र पल्लवों ने अपने अधिकार में कर लिया।
Satvahan Vansh Questions
- किस राजकुल के राजा अपने मातृनामों से लक्षित थे.
उत्तर – सातवाहन
- भूमिदान का प्राचीनतम साक्ष्य किसके अभिलेख मे है.
उत्तर – सातवाहन वंश
- सातवाहन वंश ने पहले किस स्थानीय अधिकारियों के रूप मे काम किया था.
उत्तर – मौर्य वंश
- सिमुक ने किस कणव सम्राट की हत्या का सातवाहन वंश की स्थापना किया था.
उत्तर – सुशर्मा
- सतवाहनों ने आरंभिक दिनों में अपना शासन कहा किया था.
उत्तर – आंध्र
- मौर्यों के बाद दक्षिण भारत में सबसे प्रभावशाली राज्य था.
उत्तर – सातवाहन
- कौन सा नगर सातवाहन युग मे प्रसिद्ध था.
उत्तर – तगर
- सातवाहन वंश ने किन धातुओं में अपने सिक्के ढालें.
उत्तर – सीसा, ताँबा, चाँदी, पोटीन
- किस सातवाहन राजा ने स्वयं एक ब्राह्मण की उपाधि धारण किया था .
उत्तर – गौतमीपुत्र शातकर्णी.
- सातवाहन साम्राज्य के संस्थापक.
उत्तर – सिमुक
- किस शासक के लिए एका ब्राह्मण प्रयुक्त हुआ है .
उत्तर – गौतमीपुत्र शातकर्णी
- सातवाहन वंश का सबसे बड़ा शासक कौन था.
उत्तर – गौतमीपुत्र शातकर्णी
- कौन सा शासक वर्ण व्यवस्था का रक्षक कहा जाता है .
उत्तर – गौतमीपुत्र शातकर्णी
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- प्रथम सातवाहन राजा कौन था जिसने सिक्को पर राज- शिर अंकित करवाया .
उत्तर- गौतमीपुत्र शातकर्णी
- सातवाहन के नानाघाट अभिलेख मे अंकित सही सूचना.
उत्तर– सातवाहनों के राजमाता के बारे मे
- दोहरे मस्तूल के जहाज वाले सिक्के किस राजा ने जारी किए थे.
उत्तर – यज्ञश्री
- सातवाहन वंश के राजकीय भाषा क्या था.
उत्तर – प्राकृत
- सातवाहन वंश के समय मे मुद्रा किस धातु के बनते थे.
उत्तर – सीसा
- सातवाहन वंश की राजधानी
उत्तर – प्रतिस्ठान
- शक क्षत्रप सातवाहन काल मे स्वर्ण एवं रजत सिक्कों का अनुपात था.
उत्तर- 1:10
- प्राचीन नगर धन्याकटक का प्रतिनिधि है.
उत्तर- अमरावती
- चातुवर्ण व्यवस्था का विरोधी था.
उत्तर – गौतमीपुत्र शातकर्णी
- सिमुक किस वंश का संस्थापक था.
उत्तर – सातवाहन वंश
- पुराणों मे सातवाहन वंश को किस वंश का बताया गया है.
उत्तर – आंध्र
- आंध्र सातवाहन राजाओं की सबसे लंबी सूची किस पुराण मे है.
उत्तर – मत्स्य पुराण
- सातवाहन काल मे कुलिक निगमों का क्या अर्थ था.
उत्तर – श्रेणियाँ
- सातवाहन काल मे गोलिक व हालिक कौन थे .
उत्तर – प्रशासनिक नियंत्रण करने वाले अधिकारी
- किस सातवाहन नरेश ने गाथासप्तशती नामक कृति की रचना की.
उत्तर – हाल
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