पुष्यमित्र बौद्ध धर्म का समर्थक था,
साहित्य में पुष्यमित्र शुंग को बौद्ध धर्म का विरोधी और बौद्ध धर्म के अनुयायियों का उत्पीड़न करने वाला बताया गया है।दिव्यावदन के अनुसार उसने सियालकोट में यहाँ तक घोषणा कि की जो उसे बौद्ध भिक्षु का एक सिर देगा वह है उसे 100 सोने के सिक्के देगा।
तारानाथ ने भी कहा है कि पुष्यमित्र बौद्ध विरोधी था और उसने बौद्ध विहार जलवा दिए तथा बौद्ध भिक्षुओं का वध किया इस आधार पर कुछ विद्वान पुष्यमित्र को बौद्ध धर्म का उत्पीड़क मानते हैं।
पर पुरातात्विक साक्ष्य से यह सिद्ध होता है कि सांची के स्तूप और वेदिकाओं के रूप में प्राप्त बौद्ध स्मारक शुंग काल के हैं। बौद्धों के प्रति उसके विरोध का कारण राजनीतिक था । उसके राजा बनने पर कुछ बौद्धों ने यूनानियों को सहयोग दिया । इस कारण बौद्धों को दण्ड देने के लिए उनका दमन किया गया।
यदि इस विरोध का कारण धार्मिक होता तो वह अपने गृहराज्य के पास के बौद्ध केंद्रों को पहले नष्ट करता, जो उसने नहीं किया ।