चंदेल वंश का इतिहास | Chandel Vansh in Hindi

चंदेल वंश का इतिहास | History of Chandel Vansh in Hindi

चंदेल वंश को भारत के प्रसिद्ध वंश के रूप में जाना जाता है । चंदेल एक महान शासक तथा कुशल राजनीतिज्ञ थे । चन्देलों ने 4 शतब्दियों तक बुंदेलखंड पर राज किया । चंदेल वंश का भारतीय  कला और संस्कृति के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है ।

चंदेल वंश
विशवनाथ मंदिर

इनकी वास्तुकला तथा मूर्तिकला अद्भुत था । इसका उदाहरण खजुराहों का मंदिर है जिसकों चंदेल वंश का प्रथम शासक नन्नुक देव ने बनवाया था ।

ADVERTISEMENT

चंदेल वंश अपनी कला और वास्तुकला के लिया विश्व प्रसिद्ध है । उन्होंने खजुराहों का विशवनाथ मंदिर, कालिंजर के गढ़, अजयगढ़, मंदिरों तथा महलों और किलों का निर्माण करवाया।

चंदेल वंश(Chandel Vansh) का उदय, Chandel Vansh History In Hindi 

चंदेल शुरू में गुर्जर-प्रतिहार वंश के सामंत थे।बुंदेलखंड को प्राचीन काल में जेजाकभुक्ति कहा जाता था । यही 9 वी शताब्दी में चन्देलों का उदय हुआ । सिम्थ के अनुसार चंदेल गोड़ों अथवा भरों की जाती थी जो बाद में राजपूत कहलाने लगे ।

एक परंपरा के अनुसार इन्हे चन्द्रमा तथा ब्राह्मण कन्या से उत्पन्न संतान माना जाता है। चंदेल लेखों में इस वंश की उत्पत्ति चंद्रात्रेय से बताया गया है । जिनके नाम पर इस वंश का नाम चंदेल पड़ा ।

ADVERTISEMENT

छत्तरपुर, महोत्सवनगर अथवा महोबा, कालंजर और खजुराहो चन्देलों के प्रमुख नगर थे ।

चंदेल वंश के संस्थापक | chandel vansh ke sansthapak

chandel vansh ke sansthapak
chandel vansh ke sansthapak

नन्नुक इस वंश का पहला शासक था । जिसने 831 ई में इस वंश की स्थापना की । उसके बाद उसका पुत्र वाक्पति शासक बना जिसने विंध्य तक अपना राज्य बना लिया था ।

वाक्पति के पुत्र जेजा अथवा जयशक्ति के नाम पर इस प्रदेश का नाम जेजाकभुक्ति पड़ा । हर्ष इस वंश का 6 वा राजा हुआ, जिसने प्रतिहार शासक महिपाल को गद्दी प्राप्त करने में सहायता किया।

ADVERTISEMENT

चन्देलों ने अपनी शक्ति बढ़ाई और यमुना नदी तक और कन्नौज राज्य के मध्य तक सीमा बनाया ।  हर्ष के पुत्र यशोवर्मा ने चेदि राज्य को हराया और कालंजर को जीत लिया। उसने कन्नौज के देवपाल को भी हराया ।

धंग चंदेल वंश का प्रसिद्ध शासक | Chandel Vansh Famous ruler

Chandel Vansh Famous ruler
Chandel Vansh Famous ruler

यशोवर्मा के बाद उसका पुत्र धंग (954-1002 ई ) राजा बना । यह इस वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था। इसने कालिंजर के प्रसिद्ध दुर्ग का निर्माण करवाया और खजुराहों के सुन्दर मंदिर का निर्माण करवाने वाला धंग ही है ।

उसका राज्य बहुत बड़ा था । जिसने यमुना से चेदि और कालंजर तक के क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था । उसने ग्वालियर को प्रतिहारों से छीन लिया था ।

सुबुक्तगीन का सामना करने के लिए जयपाल ने हिन्दू राजा का जो संघ बनाया था उसमे धंग भी सम्मिलित था ।

धंग के बाद गंड शासक  बना । महमूद गजनवी के आक्रमण के समय  वह आनंदपाल के बनाये गए संघ का सदस्य बना । यह संघ हार गया । जब प्रतिहार शासक जयपाल गजनवी का कोई प्रतिरोध किये बिना भाग निकला ।

तब गंड ने महमूद के लौटने के पर अपने पुत्र विद्याधर को उसे दण्डित करने के लिए भेजा ।  महमूद ने क्रोधित होकर दो बार चन्देलों पर आक्रमण किया जिसमे वह हारा गया ।  1022 ई में महमूद ने विद्याधर के सामंत ग्वालियर के कछवाहा राजा पर हमला किया ।

उसने ग्वालियर लूटा और कालिंजर की तरफ आगे बढ़ा। विद्याधर अपनी सेना लेकर आगे बढ़ा, किन्तु दोनों एक दूसरे को भेंट देकर युद्ध भूमि से हैट गए ।

विद्याधर के बाद कई निर्बल शासक गद्दी पर बैठे । इस वंश का अंतिम शासक परमर्दिदेव ( परमाल ) था । जिसने 1165 से 1203 तक राज्य किया ।

1181 ई में चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय ने उसे पराजित कर दिया . 1203 ई में कुदुबुद्दीन ऐबक ने उसे हराकर कालंजर पर अधिकार कर लिया । और 1310 ई में इसे दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया था ।

चंदेल वंश की वंशावली

  1. नन्नुक ( संस्थापक)( 831-845)
  2. वाक्पति (845-870)
  3. जयशक्ति (870-900)
  4. राहिल चंदेल (900)
  5. हर्ष चंदेल (900-925)
  6. यशोवर्मन चंदेल (925-950)
  7. धंग(950-1003)
  8. गंडदेव (1103-1017)
  9. विद्याधर(1017-1029)
  10. विजयपाल(1030-1045) 
  11. देववर्मन (1050-1060)
  12. कीर्ति सिंह ( 1060-1100)
  13. सल्ल्छनवर्मन ( 1000-1115)
  14. जयवर्मन (1115-1120)
  15. प्रथ्वी वर्मन (1120-1129)
  16. मदनवर्मन (1129-1162)
  17. यशोवर्मन द्वितीय (1165-1166)
  18. परमर्दिदेव(1166-1202)

संस्कृति एवं कला में चंदेल वंश का योगदान

चंदेल वंश कला और वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है । उन्होंने बहुत संख्या में मंदिर, महल और किलों का निर्माण करवाया ।

जिसमे विशवनाथ मंदिर, लक्षमण मंदिर, अजयगढ़ महल , यज्ञ मंडप , खजुराहों का प्रतापेश्वर मंदिर, जैन मंदिर, सुरसुन्दरी इनके अलावा कई मंदिरों का निर्माण करवाया ।

तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ Chandel Vansh in Hindi पे हमारा यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। History of Chandel Vansh in Hindi के इस आर्टिकल मैं अगर आपकी कुछ शंकाएँ है तो निचे कमेंट करके जरूर बताइये।

Comments are closed.