रस की परिभाषा –
कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि को पढ़ने सुनने या देखने से लोगों को जो एक प्रकार से आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है । रस को काव्य का आननद मान सकते है मानव ह्रदय भाव का भंडार है समय समय जो भाव जागृत होते है । उन भावों के अनुरूप ही रस की अनुभूति होती है ।
रस के अंग
- स्थायी भाव
- संचारी भाव
- अनुभाव
- विभाव