कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि को पढ़ने सुनने या देखने से लोगों को जो एक प्रकार से आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है । रस को काव्य का आननद मान सकते है मानव ह्रदय भाव का भंडार है समय समय जो भाव जागृत होते है । उन भावों के अनुरूप ही रस की अनुभूति होती है ।
रस के अंग
स्थायी भाव
संचारी भाव
अनुभाव
विभाव
Priya Kapoor
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