मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय

जीवन परिचय

राष्ट्रकवि के उपाधि से विभूषित मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म 1886 में झांसी जिले के चिरगांव में हुआ था। इनके पिता रामचरण सेट थे जो बड़े ही सहृदय और काव्य प्रेमी थे । मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेते रहे। सन 1954 में इन को पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया साहित्य के इस अपूर्व सेवक का निधन 11 दिसंबर सन 1964 में हो गया।

रचनाएं

रंग में भंग जयद्रथ वध भारत भारती पंचवटी साकेत यशोधरा जय भारत आदि।

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कला पक्ष

मैथिलीशरण गुप्त की कला में चमत्कार प्रदर्शन का भाव नहीं है अपितु सादगी एवं सरलता है सारे छंद एवं अलंकार सहज काव्य कर्म के अंग बन के आए हैं

मैथिलीशरण गुप्त के गीत भी बड़े सुंदर एवं सहानुभूति की अभिव्यक्ति है साकेत के नवम सर्ग में उर्मिला विरह वर्णन के प्रसंग में उनके गीत है।

मुझे फूल मत मारो।

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मैं अबला बाला वियोगिनी।

कुछ तो दया विचारों।

साहित्य में स्थान

मैथिलीशरण गुप्त युंगों तक राष्ट्र कवि के रूप में याद किए जाएंगे । उनकी रचनाएं हिंदी की अमूल्य निधि है दिनकर जी के शब्दों में उन्होंने खड़ी बोली को उंगली पकड़कर चलना सिखाया उनका साकेत महाकाव्य राम काव्य परंपरा का अमर काव्य है । हिंदी कविता धारा के प्रारंभिक कवियों में गुप्त जी का स्थान श्रेष्ठ है अमर है।

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Priya Kapoor
Priya Kapoor
मैं प्रिया कपूर (Priya Kapoor), IndianHistoryHindi.com की संपादक हूँ, जहाँ मैं संस्कृति और साहित्य, शिक्षा और ज्ञान, साथ ही समाचार और अपडेट से संबंधित विषयों पर सामग्री साझा करती हूँ। डिजिटल सामग्री निर्माण में ८ वर्षों से अधिक अनुभव के साथ, मैं भारतीय इतिहास और संस्कृति के जटिल पहलुओं को स्पष्ट, रोचक और सूचनात्मक लेखों में बदलने में विशेषज्ञ हूँ। मेरा उद्देश्य पाठकों को उनके ज्ञान को गहरा करने, परंपराओं की सराहना करने और विश्वसनीय अपडेट के साथ सूचित रहने में मदद करना है। मुझे इतिहास और शिक्षा का जुनून है, और मैं हमेशा दर्शकों के लिए सटीक और मूल्यवान जानकारी प्रदान करती हूँ।